हजारीबाग। डॉ भीमराव अंबेडकर की 131 वी जयंती तापीन नॉर्थ, रोहनिया टांड़ , चरही में नए जोश, उमंग, उल्लास एवं नए संकल्प के रूप में मनाई गई। जिसकी अध्यक्षता महालाल हेंब्रोम एवं संचालन मंटू बेदिया ने की। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में यंगब्लड आदिवासी समाज सह ऑल संथाल स्टूडेंट यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष मनोज टुडू एवं समाजसेवी सुधीर बासके शरीक हुए। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती में मुख्य अतिथि मनोज टुडू ने तीन बातें कहीं , पहला भीमराव अंबेडकर का जीवन एक जांबाज योद्धा की तरह है जो छुआछूत, अशिक्षा , मानसिक शोषण ,अत्याचार , जुल्मी इंसानों से गिरे हुए थे, इनका जीवन चारों तरफ जटिल चक्रव्यू में फंसा हुआ था परंतु अपने ज्ञान रूपी तलवार से इन सारे चक्रव्यू को काटकर आदिवासी ,दलित पिछड़ों को सम्मान के साथ जिंदगी जीने का अवसर प्रदान किया। दूसरा इनकी दूर दृष्टि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी दूरदृष्टिता काबिले तारीफ थी। उन्हें पता था यदि संविधान के निर्माण में आदिवासी दलित एवं पिछड़ों के हित के बात यदि नहीं की जाए तो आदिवासी दलित पिछड़े हमेशा के लिए पिछडे ही रह जाएंगे इसलिए संविधान के समय अपने बड़े-बड़े नेताओं साथियों के साथ में दृढ़ता के साथ इन लोगों के हक अधिकार की बातें की ,लड़ाई की ,जिद्दी की ,तब जाकर आदिवासी, दलित ,पिछड़ों को लोकसभा में विधानसभा में पंचायत में स्कूल में कॉलेज में रोजगार में सभी क्षेत्रों में बराबर की हिस्सेदारी का अवसर प्रदान होता है इनकी दूरदर्शिता अद्भुत अलौकिक है इन्हें जितने भी नमन करूं कम होगा इस भारत माता से दुआ करता हूं कि इस प्रकार की दूर दृष्टिता भविष्य की नजर रखने वाले वाले व्यक्ति का जन्म सदा इस भारत देश में हो। और तीसरी बातें के रूप में आने वाले पीढ़ियों को पुस्तकों से प्रेम करने की शिक्षा ग्रहण करने की नशे से दूर रहने के अपील की और साथ ही साथ कहा कि देश को विकास के लिए कोई जिम वारी देता नहीं है जिमवारी खुद लेना पड़ता है समाज को एक नई दिशा देने के लिए अपनी योजना को तय करें कि आप की योजना आने वाला समय तक समाज को सही दिशा में ले जा सके विकास कर सके। सुधीर बासके ने कहा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बारे में जो भी कुछ कहूं बहुत कम है बस से संक्षेप में कहा कि आज जो हमें पढ़ने लिखने खाने पीने की आजादी है सिर्फ डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी का महत्वपूर्ण योगदान है जिसके कारण आज हम सभी अमन चैन से इस भारतवर्ष में रह रहे हैं।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महा लाल हेमरोम, मंटू बेदिया, मुरारी भुइयां, विनोद उरांव, अनिल हेमरोम, तालों महतो ,विक्रम मुंडा, आनंद करमाली, राजू हेमरोम, हरेंद्र सिंह भोक्ता, महेंद्र हेमरोम ,संतोष कुमार चौहान ,सुशांत गंजू ,राहुल गंजू ,ललिता देवी, ललन सिंह भोक्ता ,मनी लाल महतो, राहुल कुमार साहू ,रणधीर कुमार सिंह ,संजय करमाली ,दीपक भुइया ,मुरारी गंजू ,इत्यादि लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।